An introduction of Self realization Follow ship
Truth is always simple for all.
सभी जानते है कि मानव की शाक्ति आपार है. यदि वह स्वयं को जानने का प्रयास करे तो निष्चय ही पुनः विचार करेगा कि जीवन का क्या उद्देश्य है। प्रयास ही सफलता का धोतक है।
आश्चर्य, जब आप विचार करेंगे कि प्रत्येक आदमी का चेहरा अलग-अलग होता है लेकिन साँस एक है। जिसे हम मनुष्य पकड़ सकते है. वैज्ञानिक विधि से और अनुभव कर सकते है वास्तविक जीवन को जो अमर है और अनन्त ऊर्जा है। जो सब रूपों में दृश्य और अदृश्य है। निश्चय यह विषय वाणी या किसी भी बाहरी साधन से नहीं प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए हम मनुष्यो को वैज्ञानिक दृष्टिकोण और इच्छा को सही दिशा में और निश्चय साधन जो क्रियायोग विज्ञान के द्वारा उपलब्ध है , का अनुसरण करना ही पड़ेगा आज नहीं तो कल या अगली बार या जब पुनः दृश्य होगे मानव रूप में इस स्वपन संसार में।
हम ,प्रत्येक कोई चाहत रखता है की उसे भगवान /गॉड /अल्लाह /नानक/बुद्ध /महावीर / और सब नाम / स्थान / ईश्वर या जहां से आतंरिक शान्ति का आभास होता है। मिल जाये।
जिससे जीवन सफल हो जाये।
मानव तन बड़ भाग्य से पायो
वर्तमान समय द्वापर युग का आरोही काल है वर्ष 321 वां
जैसा हम सभी देख और समझ सकते है कि मानव बुद्धि अनोखे और विषमय करी तथ्यों को उजागर कर रही है।
मानव जीवन महान है। अधिकांश जन सीमितता के विचारों से इस प्रकार ओत -प्रोत्र है कि वास्तविक जीवन का भान तक नही पाते।
मृत्यु (परिवर्तन ) ही को अंत के रूप में देख पाते है। ऐसा मानव जीवन चाहे जितना भी भौतिक सम्पनता से भरा हो और चाहे कितने ऊँचे सांसारिक कार्य -व्यापार में पदस्थ हो सब व्यर्थ ही है। क्योंकि मानव जीवन के लक्ष्य का भान भी न होना ऐसा है , जैसे जानवर का जीवन चक्र। वास्तव में यह बात तब तक असमझ है , जब तक मानव जिज्ञासा, जिज्ञासु किसी ऐसे मार्ग का पाथिक नही हो जाता है।
मानव जीवन यथार्थ में भौतिकता और आध्यमिकता का समिश्रण है। कष्ट पूर्ण तब ही तक है।
जब - तक मात्र भौतिकता पूर्ण विचारों को सृजित करते रहेंगे। और खेद जनक बात यह भी है, की वैज्ञानिकों द्वारा प्राप्त निष्कर्षो का सार जो भौतिक अस्तित्व के भाग को स्पष्ट करता है। वह भी नहीं समझ पा रहे है।
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